सरोगेसी का मतलब क्या होता है?
सरोगेसी (Surrogacy) के प्रक्रिया में एक अन्य महिला को किसी दूसरे शादीशुदा जोड़ा के लिए गर्भ धारण करना होता है, और जन्म देने के बाद बच्चा को उन्हें सौंप देना होता है, इसके पश्चात वह शादीशुदा जोड़ा कानूनी रूप से बच्चे के अभिभावक बन जाते हैं — वह व्यक्ति जो बच्चा धारण नहीं कर सकती या चाहती है, तो वे इसके लिए रिश्तेदार या बाहरी महिला की मदद लेते हैं |
दो मुख्य प्रकार:
1. परंपरागत सरोगेसी
इसमें सरोगेट माँ अपने अंडाणु (egg) का उपयोग करती है और शुक्राणु इच्छुक पिता या दाता का होता है।इसलिए वह जैविक (genetic) मां होती है—यानि गर्भधारण करने वाली महिला का वंशानुगत बच्चे से होता है।आमतौर पर यह प्रक्रिया IUI (intrauterine insemination) या कभी-कभी IVF के जरिए होती है—जिसमें गर्भाशय में सीधे शुक्राणु डाला जाता है ।
इसके कारण कई कानूनी और भावनात्मक कठिनाइयों हो सकती हैं:
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सरोगेट माँ और जन्म लेने वाले बच्चे के बीच वंशानुगत संबंध होने से पारिवारिक अधिकारों, कस्टडी और भावनात्मक बँधाव की दिक्कतें हो सकती हैं।
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भारत में परंपरागत सरोगेसी कानूनी रूप से मान्य नहीं है, क्योंकि इस प्रक्रिया में सरोगेट माँ का आनुवंशिक संबंध बच्चे से होता है, जिससे पारिवारिक अधिकारों और कस्टडी को लेकर कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
2. जेस्टेशनल सरोगेसी
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इस प्रकार में सरोगेट माँ की अपनी कोई आनुवंशिक भागीदारी नहीं होती।
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गर्भ में दरअसल एक भ्रूण प्रत्यारोपित होता है जो IVF तकनीक से बनाया जाता है—इसमें अंडा और शुक्राणु इच्छुक माता-पिता या डोनर से आते हैं।
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सरोगेट सिर्फ गर्भाशय प्रदान करती है—बच्चा उसका आनुवंशिक नहीं होता और इस प्रकार उसके और बच्चे के बीच कोई रक्त-संबंध नहीं होता।
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यह विधि वैध है और भारत में मंजूर है, क्योंकि इससे कानूनी विवाद और भावनात्मक जटिलताएं बहुत कम होती हैं
भारत में कानूनी रूप से सरोगेसी
भारत सरकार ने सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 को 25 दिसंबर 2021 को मंजूरी दी, और यह 2022 में लागू हुआ | इस अधिनियम का मकसद सरोगेसी प्रक्रिया को नैतिक, स्पष्ट और कानूनी बनाना है। यह सिर्फ अल्ट्रुइस्टिक विधि की अनुमति देता है—जहाँ सरोगेट को केवल इलाज खर्च और बीमा मिलता है, कोई अन्य भुगतान नहीं। इसमें विशेष पात्रता मानक, पंजीकृत क्लिनिक, निगरानी बोर्ड और कड़े दंड शामिल हैं|
1. वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध
- केवल अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी की अनुमति है, जिसमें सरोगेट माँ को कोई धन संबंधी लाभ नहीं मिलता है।
- वाणिज्यिक सरोगेसी अवैध है, जिसमें सरोगेट माँ को अदायगी किया जाता है। इस पर जुर्माना ₹10 लाख तक और कारावास की सजा 10 वर्ष तक हो सकती है।
2. इच्छुक दंपत्ति के लिए पात्रता मानदंड
- केवल भारतीय, वैवाहिक, विषमलैंगिक दंपत्ति को ही सरोगेसी की अनुमति है।
- दंपत्ति को कम से कम 5 वर्ष का वैवाहिक जीवन होना चाहिए।
- महिला की आयु 23 से 50 वर्ष और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- दंपत्ति के पास पहले से कोई जैविक, गोद लिया या सरोगेसी से जन्मा बच्चा नहीं होना चाहिए।
3. सरोगेट माँ के लिए पात्रता का मानदंड
- सरोगेट माँ इच्छुक दंपत्ति की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए (जैसे बहन, भाभी, साली, आदि)।
- उसकी आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- सरोगेट माँ ने पहले कम से कम एक स्वस्थ बच्चा जन्म दिया हो।
- वह अपनी जीवन में केवल एक बार सरोगेसी कर सकती है।
4. क्लिनिक और बोर्ड की स्थापना
- राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और प्रत्येक राज्य में राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित किए गए हैं।
- ये बोर्ड सरोगेसी क्लिनिकों की निगरानी, लाइसेंसिंग, और नियमों के पालन को सुनिश्चित करते हैं।
5. कानूनी अधिकार और दायित्व
- सरोगेसी से जन्मा बच्चा इच्छुक दंपत्ति का जैविक बच्चा माना जाएगा और उसे सभी कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे।
- सरोगेट माँ को लिखित और सूचित सहमति प्राप्त करनी होगी, और वह गर्भधारण से पहले अपनी सहमति वापस ले सकती है।
- सरोगेट माँ को गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक शोषण से बचाया जाएगा।
6. कानूनी दंड
- वाणिज्यिक सरोगेसी, सेक्स चयन, भ्रूण या अंडाणु की तस्करी, सरोगेट माँ का शोषण, या सरोगेट बच्चे को त्यागने जैसे अपराधों के लिए 10 वर्ष तक की सजा और ₹10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
- विवाहित महिलाओं तक सीमित: अविवाहित महिलाएं, समलैंगिक दंपत्ति, और एकल पुरुष सरोगेसी के लिए पात्र नहीं हैं, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं।
- प्रशासनिक जटिलताएँ: कई दंपत्ति आवेदन प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण सरोगेसी की ओर नहीं बढ़ पाते हैं, जिससे अवैध सरोगेसी और भ्रूण तस्करी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- निगरानी की कमी: कुछ राज्यों में सरोगेसी क्लिनिकों की निगरानी में कमी के कारण अवैध गतिविधियाँ बढ़ रही हैं।
क्यों चुनते हैं लोग सरोगेसी?
1. मुख्य कारण: बांझपन या गर्भधारण में असमर्थता
कई दंपति प्राकृतिक तरीके से conceive नहीं कर पाते—चाहे पुरुष या महिला में कोई चिकित्सा कारण हो। जब IVF जैसे उपाय विफल हो जाते हैं, तब सरोगेसी एक विकल्प बन जाती है। यह उन्हें अपने ही आनुवंशिक बच्चे का मौका देती है, जबकि गर्भाशय अन्य महिला में होता है।
2. चिकित्सीय/स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
कुछ महिलाओं के लिए गर्भावस्था स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है—जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर उपचार से प्रभावित अंग, या गर्भाशय में विकृतियां। ऐसी स्थिति में सरोगेसी से जोखिम कम होता है और सुरक्षित विकल्प मिलता है।
3. जैविक संबंध बनाए रखना
कई लोगों को बच्चे के साथ जैविक संबंध की चाह होती है। सरोगेसी उन्हें यह मौका देती है कि बच्चे में उनके या उनके साथी के डीएनए का हिस्सा रहे—यह कई परिवारों के लिए भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है।
4. समान-लिंग युगल और एकल
- समलैंगिक पुरुष जोड़ों के लिए गर्भ धारण संभव नहीं—पर सरोगेसी के माध्यम से वे जैविक परिवार बना सकते हैं|
- एकल पुरुष/महिलाएं लिए भी यह विधि एकमात्र मार्ग हो सकती है जब वे व्यक्तिगत रूप से जैविक बच्चे की चाह रखते हों।
5. Lifestyle या कैरियर कारण
कुछ महिलाएँ, विशेषकर उच्च मांग वाले पेशे में (जैसे इंजीनियरिंग, चिकित्सा, आदि), गर्भधारण को कैरियर बाधा मानती हैं। वे pregnancy का शारीरिक समय और चुनौतियाँ टालकर अपनी पेशेवर जीवन को संतुलित रखना चाहती हैं—सरोगेसी इस विकल्प को संभव बनाती है।
6. बहु-आत्मिक गर्भपात या उपचार का प्रभाव
अगर किसी महिला को बार-बार miscarriage होता हो, तो भावनात्मक रूप से यह पुन: प्रयास करना मुश्किल हो सकता है। सरोगेसी से embryo पहले से टेस्ट करके ट्रांसफर किया जाता है, जिससे miscarriage की संभावना कम हो सकती है।
7. आयु या प्रजनन क्षमता में गिरावट
महिलाओं की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ घटती है, खासकर 35 वर्ष के बाद गिरावट तेज़ होती है। अधिक उम्र में प्रसव संबंधित जोखिम बढ़ जाते हैं। सरोगेसी की मदद से बाद की उम्र में भी biological child संभव है।
नैतिक और कानूनी मुद्दे
- शोषण की आशंका: विशेष रूप से गरीब महिलाओं का आर्थिक रूप से विवश होना, और औद्योगिकीकरण—इन्हें नियंत्रित करने हेतु वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाया गया ।
- भावनात्मक पेचिदगियाँ: विशेषकर पारंपरिक सरोगेसी में भावनात्मक जुड़ाव और कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकता है।
- कानूनी संरक्षण का अभाव: यदि सरोगेसी का समझौता केवल मौखिक या अनौपचारिक हो — जैसा कि किर्बी हुड की कहानी में हुआ — तो जन्म के बाद सरोगेट माँ बच्चे को रखने का फैसला कर सकती है। इससे अभिप्रेत माता को बच्चे का कानूनी हक पाना बेहद कठिन हो जाता है।
निष्कर्ष
सरोगेसी एक मेडिकल, कानूनी और नैतिक रूप से संवेदनशील प्रक्रिया है। चाहे पारिवारिक कारण हों, चिकित्सीय कारण हों, या व्यक्तिगत आवश्यकता—यह एक गंभीर निर्णय है जिसमें सभी पक्षों के अधिकार, स्वास्थ्य, भावनात्मक सुरक्षा और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। भारत में केवल अल्ट्रूइस्टिक सरोगेसी ही वैध है, और नियमों के उल्लंघन पर गंभीर दंड है।
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ध्यान दें: यह जानकारी केवल शिक्षा एवं आरंभिक मार्गदर्शन के लिए है; किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ सलाह अनिवार्य है।
FAQs
1. सरोगेसी क्या है?
सरोगेसी एक प्रक्रिया है जिसमें एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य दंपत्ति के लिए गर्भधारण करती है और जन्म के बाद बच्चे को उन्हें सौंप देती है। यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए होती है जो प्राकृतिक रूप से संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं।
2. भारत में सरोगेसी की कानूनी स्थिति क्या है?
भारत में, 25 दिसंबर 2021 को पारित "सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021" के तहत, केवल "अल्ट्रुइस्टिक" (निःस्वार्थ) सरोगेसी को कानूनी रूप से अनुमति प्राप्त है। इसमें सरोगेट माँ को केवल चिकित्सा खर्च और बीमा के अलावा कोई अन्य भुगतान नहीं किया जा सकता है।
3. अल्ट्रुइस्टिक और वाणिज्यिक सरोगेसी में क्या अंतर है?
- अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी: इसमें सरोगेट माँ को केवल चिकित्सा खर्च और बीमा के अलावा कोई अन्य भुगतान नहीं किया जाता है।
- वाणिज्यिक सरोगेसी: इसमें सरोगेट माँ को अतिरिक्त भुगतान किया जाता है, जो भारत में अवैध है।
4. भारत में सरोगेसी के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
- इच्छुक दंपत्ति के लिए:
- केवल भारतीय, वैवाहिक, विषमलैंगिक दंपत्ति को ही सरोगेसी की अनुमति है।
- दंपत्ति को कम से कम 5 वर्ष का वैवाहिक जीवन होना चाहिए।
- महिला की आयु 23 से 50 वर्ष और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- दंपत्ति के पास पहले से कोई जैविक, गोद लिया या सरोगेसी से जन्मा बच्चा नहीं होना चाहिए।
- सरोगेट माँ के लिए:
- वह इच्छुक दंपत्ति की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए (जैसे बहन, भाभी, साली, आदि)।
- उसकी आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- सरोगेट माँ ने पहले कम से कम एक स्वस्थ बच्चा जन्म दिया हो।
- वह अपनी जीवन में केवल एक बार सरोगेसी कर सकती है।
5. क्या विदेशी नागरिक भारत में सरोगेसी कर सकते हैं?
नहीं, विदेशी नागरिकों को भारत में सरोगेसी की अनुमति नहीं है। केवल भारतीय मूल के नागरिक, जो विदेश में बसे हुए हैं और ओसीआई (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) कार्डधारी हैं, उन्हें सरोगेसी की अनुमति प्राप्त है।
6.सरोगेसी की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
सरोगेसी की प्रक्रिया में औसतन 1 से 2 वर्ष का समय लग सकता है, जिसमें सरोगेट माँ की खोज, चिकित्सा परीक्षण, कानूनी औपचारिकताएँ और गर्भधारण की प्रक्रिया शामिल हैं।
Source: (https://artsurrogacy.gov.in/?utm_source=chatgpt.com)
(https://dhr.gov.in/whatsnew/surrogacy-regulation-rules-2022?utm_source=chatgpt.com)