नार्मल ओवरी सिस्ट साइज इन हिंदी | ओवेरियन सिस्ट जानकारी | महिलाओं के स्वास्थ्य टिप्स
ओवरी सिस्ट (Ovarian Cyst) महिलाओं में बहुत आम समस्या है। यह एक छोटी थैली होती है जिसमें तरल पदार्थ (Fluid) भरा होता है। ज्यादातर मामलों में यह हानिरहित होती है और कुछ समय में अपने आप गायब हो जाती है। लेकिन कई बार इसका साइज़ बड़ा हो जाता है और यह दर्द, पीरियड्स में गड़बड़ी और गर्भधारण (Pregnancy) में समस्या का कारण बन सकती है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे:
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ओवरी सिस्ट क्या है?
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नार्मल ओवरी सिस्ट का साइज़ कितना होता है?
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कौन-सी सिस्ट खतरनाक है?
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Right और Left Ovarian Cyst क्या है?
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बच्चेदानी में सिस्ट क्यों होती है और इसका इलाज कैसे करें?
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ओवरी सिस्ट के आयुर्वेदिक इलाज और खानपान से जुड़ी जानकारी।
ओवरी सिस्ट क्या है?
ओवरी सिस्ट, जिसे हिन्दी में अंडाशय की थैली भी कहा जा सकता है, महिलाओं के अंडाशय में बनने वाला तरल पदार्थ से भरा थैली (Cyst) होता है। अधिकांश सिस्ट छोटे और सामान्य होते हैं और कई बार बिना किसी लक्षण के अपने आप गायब हो जाते हैं।
हालांकि, कभी-कभी ये बड़ी या जटिल हो सकते हैं, जिससे पेल्विक दर्द, पेट में सूजन, अनियमित पीरियड्स और प्रजनन क्षमता (fertility) पर असर पड़ सकता है। ओवरी सिस्ट कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे Functional Cyst, Endometrial Cyst (चॉकलेट सिस्ट) और Dermoid Cyst, जिनका इलाज अलग-अलग होता है।
यदि ओवरी की समस्या के कारण प्रेगनेंसी में कठिनाई हो रही है, तो भारत में सरोगेसी की लागत और उपलब्ध विकल्पों को जानना मददगार हो सकता है।
सिस्ट का नार्मल साइज कितना होता है?
सामान्य रूप से ओवरी सिस्ट का आकार 2 से 3 सेंटीमीटर तक हो तो चिंता की कोई बात नहीं होती। यह शरीर के हार्मोनल बदलाव के कारण बनती है और पीरियड्स आने के बाद अपने आप गायब हो जाती है।
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5 सेंटीमीटर तक की सिस्ट को भी डॉक्टर सामान्य मानते हैं और सिर्फ नियमित जाँच (अल्ट्रासाउंड) करवाने की सलाह देते हैं।
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अगर सिस्ट का साइज़ 6 सेंटीमीटर से बड़ा हो जाए, तो डॉक्टर निगरानी और कभी-कभी दवा देने की सलाह देते हैं।
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8–10 सेंटीमीटर से बड़ी सिस्ट में जटिलताएँ बढ़ सकती हैं, जैसे दर्द, पेट फूलना और कभी-कभी सर्जरी की आवश्यकता।
यानी, छोटी सिस्ट आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन बड़ी सिस्ट पर ध्यान देना ज़रूरी है।
Source: https://www.acog.org/womens-health/faqs/ovarian-cysts
ओवरी में सिस्ट होने के कारण
ओवरी या बच्चेदानी (Uterus) में बनने वाली सिस्ट कई प्रकार की हो सकती हैं। इनमें से कुछ को Endometrial Cyst (चॉकलेट सिस्ट) कहा जाता है, जबकि कुछ को Fibroid (गांठ) भी कहा जाता है। इनके बनने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बिगड़ने पर ओवरी में सिस्ट बनने की संभावना बढ़ जाती है। यह समस्या अधिकतर उन महिलाओं में देखी जाती है जिनके पीरियड्स अनियमित रहते हैं।
2. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय की परत (Endometrium) बाहर की तरफ बढ़ने लगती है। इसके कारण ओवरी पर खून से भरे हुए सिस्ट बन जाते हैं, जिन्हें चॉकलेट सिस्ट कहा जाता है।
3. आनुवांशिक कारण (Genetic Factors)
यदि परिवार में किसी महिला को ओवरी में सिस्ट या फाइब्रॉइड की समस्या रही हो, तो यह संभावना बढ़ जाती है कि अन्य महिलाओं को भी यह समस्या हो सकती है।
4. मोटापा और असंतुलित जीवनशैली
अत्यधिक मोटापा, अनियमित खानपान, देर रात तक जागना और तनाव जैसी जीवनशैली संबंधी आदतें भी हार्मोनल बदलाव लाकर सिस्ट बनने का कारण बन सकती हैं।
5. देर से शादी या देर से बच्चा होना
कुछ शोधों में यह पाया गया है कि देर से शादी करने या देर से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में ओवरी सिस्ट और फाइब्रॉइड्स की समस्या अधिक पाई जाती है।
ओवरी में गांठ के लक्षण
ओवरी में गांठ (Ovarian Cyst या Tumor) कई बार बिना किसी लक्षण के भी होती है और सिर्फ अल्ट्रासाउंड से ही पता चलती है। लेकिन कुछ सामान्य संकेत ऐसे हैं जिनसे इस समस्या का अंदेशा लगाया जा सकता है:
1. पेट और पेल्विक में दर्द
लगातार पेट या कमर के निचले हिस्से में हल्का या तेज दर्द होना ओवरी में गांठ का एक आम लक्षण है।
2. पीरियड्स की अनियमितता
मासिक धर्म का समय पर न आना, बहुत ज्यादा या बहुत कम ब्लीडिंग होना, और पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना सिस्ट या गांठ की ओर इशारा कर सकता है।
3. पेट फूलना या सूजन
ओवरी की गांठ बढ़ने पर पेट में सूजन या फुलाव महसूस हो सकता है, जो गैस से अलग होता है।
4. पेशाब और मल त्याग में दिक़्क़त
बड़ी गांठ मूत्राशय या आंतों पर दबाव डाल सकती है, जिससे बार-बार पेशाब आना, रुक-रुक कर पेशाब होना या कब्ज़ की समस्या हो सकती है।
5. थकान और कमजोरी
लगातार थकान रहना, ऊर्जा की कमी महसूस होना और भूख कम लगना भी ओवरी में गांठ का लक्षण हो सकता है।
6. संभोग के दौरान दर्द
कुछ महिलाओं को संभोग (Intercourse) के समय दर्द या असुविधा महसूस होती है, जो ओवरी सिस्ट या गांठ का लक्षण हो सकता है।
7. अचानक वजन बढ़ना या घटना
बिना कारण वजन का बढ़ना या घटना भी ओवरी की गांठ का संकेत हो सकता है।
Source: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK560541/
Normal Ovary का साइज कितना होता है?
नॉर्मल ओवरी का साइज जानना भी महत्वपूर्ण है, ताकि यह समझा जा सके कि कोई बदलाव सामान्य है या असामान्य।
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एक स्वस्थ महिला की ओवरी का सामान्य साइज:
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लंबाई (Length): 3 से 5 सेंटीमीटर
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चौड़ाई (Width): 2 से 3 सेंटीमीटर
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मोटाई (Thickness): 1.5 से 2.5 सेंटीमीटर
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उम्र और हार्मोनल स्थिति के अनुसार ओवरी का आकार थोड़ा बदल सकता है।
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प्रेगनेंसी के दौरान यह अस्थायी रूप से बड़ा हो सकता है।
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मेनोपॉज़ के बाद ओवरी सिकुड़कर छोटी हो जाती है।
ओवेरियन सिस्ट का आकार कितना खतरनाक होता है?
सिस्ट का साइज जितना बड़ा होगा, उतना ही उसके खतरनाक होने का जोखिम बढ़ता है।
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छोटी सिस्ट (2–5 सेमी) – ये बिल्कुल सामान्य हैं और अपने आप ठीक हो जाती हैं।
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मध्यम आकार की सिस्ट (6–8 सेमी) – दर्द, पेट में भारीपन और पीरियड्स में अनियमितता पैदा कर सकती हैं।
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बड़ी सिस्ट (8–10 सेमी या ज्यादा) – इनसे फटने (Rupture), मरोड़ (Torsion) और खून बहने (Bleeding) जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
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10 सेमी से बड़ी सिस्ट – यह खतरनाक होती है और अक्सर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
खतरनाक सिस्ट का पता आमतौर पर अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी जाँचों से लगाया जाता है।
Right Ovarian Cyst in Hindi (दायीं तरफ ओवरी सिस्ट)
दायीं तरफ ओवरी में बनने वाली सिस्ट को Right Ovarian Cyst कहते हैं।
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ये अक्सर Functional Cyst होती हैं और खुद ही गायब हो जाती हैं।
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अगर साइज़ 60 mm से ज्यादा हो तो यह दर्द, पेट में भारीपन और पाचन संबंधी समस्या कर सकती है।
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बहुत बड़ी सिस्ट में कभी-कभी सर्जरी करनी पड़ सकती है।
Left Ovarian Cyst in Hindi (बायीं तरफ ओवरी सिस्ट)
बायीं तरफ ओवरी में बनने वाली सिस्ट को Left Ovarian Cyst कहते हैं।
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लक्षण दायीं तरफ की सिस्ट जैसे ही होते हैं।
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छोटी सिस्ट हानिरहित होती है और धीरे-धीरे गायब हो सकती है।
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अगर साइज़ 70 mm से ज्यादा हो जाए तो अल्ट्रासाउंड और डॉक्टर की निगरानी जरूरी है।
ओवरी में गांठ का इलाज (Uterine Cyst Treatment in Hindi)
बच्चेदानी में बनने वाली सिस्ट को Uterine Cyst कहा जाता है। यह कई बार एंडोमेट्रियल सिस्ट या फाइब्रॉइड के रूप में पाई जाती है।
इलाज के विकल्प:
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दवा (Medicines) – हार्मोनल दवाओं से छोटे सिस्ट को नियंत्रित किया जा सकता है।
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लाइफस्टाइल बदलाव – हेल्दी डाइट, योग और तनाव कम करना फायदेमंद है।
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मॉनिटरिंग – हर 3–6 महीने पर अल्ट्रासाउंड करवाना।
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सर्जरी (Surgery) – बड़ी या खतरनाक सिस्ट के लिए लैप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी करनी पड़ सकती है।
ओवरी में गांठ का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में ओवरी सिस्ट और गांठ के लिए प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं:
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अशोक घन वटी – बच्चेदानी और ओवरी की समस्याओं के लिए फायदेमंद
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कांचनार गुग्गुल – गांठ और सिस्ट को कम करने में सहायक
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शतावरी – महिला हार्मोन को संतुलित करती है
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त्रिफला – शरीर से विषाक्त तत्व निकालने में मदद करती है
Source: https://www.ayush.gov.in/
ओवरी में सिस्ट हो तो क्या खाना चाहिए?
ओवरी में सिस्ट होने पर सही खानपान (Diet) बहुत अहम भूमिका निभाता है। हेल्दी डाइट हार्मोन को संतुलित करती है, सूजन (Inflammation) कम करती है और शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करती है।
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हरी पत्तेदार सब्जियाँ – जैसे पालक, मेथी, बथुआ, जो आयरन और फाइबर से भरपूर होती हैं।
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फल – पपीता, सेब और अनार, जो एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन से भरपूर होते हैं।
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होल ग्रेन (Whole Grains) – जैसे ब्राउन राइस, ओट्स और क्विनोआ, जो ब्लड शुगर को संतुलित रखते हैं।
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ड्राई फ्रूट्स – बादाम और अखरोट, जो ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।
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मसाले और हर्ब्स – हल्दी, अदरक और लहसुन, जो सूजन कम करने और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक हैं।
ओवरी सिस्ट में कौन से फल खाने चाहिए?
1. अनार (Pomegranate)
अनार एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है और पीरियड्स को नियमित करने में सहायक है।
2. पपीता (Papaya)
पपीते में फाइबर और एंज़ाइम्स पाए जाते हैं। यह पाचन को सही रखता है और शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे ओवरी की सेहत बेहतर रहती है।
3. सेब (Apple)
सेब फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोत है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है और PCOS या इंसुलिन रेजिस्टेंस वाली महिलाओं के लिए खासतौर पर लाभदायक है।
4. अमरूद (Guava)
अमरूद में विटामिन C भरपूर होता है। यह इम्यूनिटी को मजबूत करता है और शरीर में होने वाली सूजन (inflammation) को कम करने में सहायक है।
5. अंगूर (Grapes)
अंगूर में Resveratrol नामक तत्व पाया जाता है। यह हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने और ओवरी सिस्ट व PCOS में राहत देने में मदद करता है।
6. बेरीज़ (Strawberry, Blueberry)
बेरीज़ एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन से भरपूर होती हैं। ये इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करने और हार्मोनल सेहत को बेहतर बनाने में सहायक होती हैं।
7. संतरा और मौसमी (Citrus Fruits)
संतरा और मौसमी जैसे खट्टे फलों में विटामिन C अधिक होता है। ये सूजन घटाने और ओवरी को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार होते हैं।
ओवरी में सिस्ट होने पर क्या क्या नहीं खाना चाहिए?
1. ज्यादा तेल और मसालेदार खाना
बहुत तैलीय और मसालेदार भोजन शरीर में सूजन (Inflammation) बढ़ाता है और हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। इससे सिस्ट के लक्षण और बढ़ सकते हैं।
2. जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड
पिज़्ज़ा, बर्गर, पैकेट फूड और प्रोसेस्ड स्नैक्स में हानिकारक फैट और प्रिज़र्वेटिव्स होते हैं, जो ओवरी की सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। इनसे बचना जरूरी है।
3. मीठा और शक्कर वाले पदार्थ
ज्यादा मिठाई, चॉकलेट और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाता है। इससे हार्मोनल बैलेंस बिगड़ सकता है और सिस्ट बढ़ने का खतरा रहता है।
4. कैफीन और अल्कोहल
अत्यधिक कैफीन (कॉफ़ी, कोल्ड ड्रिंक) और अल्कोहल का सेवन हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा देता है। यह न सिर्फ सिस्ट को बढ़ा सकता है बल्कि नींद और प्रजनन क्षमता (Fertility) पर भी असर डालता है।
क्या ओवेरियन सिस्ट वाली महिला प्रेग्नेंट हो सकती है?
अधिकतर महिलाओं को लगता है कि ओवरी में सिस्ट होने से प्रेग्नेंसी असंभव हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। ज्यादातर सिस्ट साधारण (Functional Cyst) होती हैं, जो अपने आप कुछ समय बाद खत्म हो जाती हैं और गर्भधारण में कोई रुकावट नहीं डालतीं।
हालाँकि, कुछ स्थितियों में ओवरी सिस्ट प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकती है—जैसे कि PCOS (Polycystic Ovary Syndrome), बड़ी सिस्ट, या एंडोमेट्रियल सिस्ट। इन मामलों में हार्मोनल असंतुलन, अनियमित पीरियड्स या ओवुलेशन की समस्या आ सकती है।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
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लगातार पेट या पेल्विक में दर्द रहना।
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पीरियड्स में गड़बड़ी आना।
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अचानक तेज दर्द, उल्टी या ब्लीडिंग होना।
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सिस्ट का साइज़ 60 mm से ऊपर होना।
निष्कर्ष
ओवरी और बच्चेदानी में सिस्ट या गांठ महिलाओं में आम समस्या है, लेकिन हर सिस्ट खतरनाक नहीं होती। छोटी और सामान्य सिस्ट अपने आप ठीक हो सकती हैं, जबकि बड़ी, जटिल या हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी सिस्ट के लिए डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।
सही समय पर लक्षण पहचानना, नियमित अल्ट्रासाउंड करवाना, संतुलित आहार लेना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना ओवरी सिस्ट को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक उपाय और प्राकृतिक आहार भी शरीर को भीतर से संतुलित करने में सहायक हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ओवरी में सिस्ट होने का मतलब यह नहीं है कि महिला माँ नहीं बन सकती। उचित इलाज और देखभाल से प्रेग्नेंसी संभव है और सेहतमंद जीवन जिया जा सकता है।
ओवरी सिस्ट से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. सिस्ट को दूर होने में कितना समय लगता है?
साधारण (Functional) सिस्ट अक्सर 1–3 महीने में अपने आप ठीक हो जाती है। जटिल सिस्ट के लिए इलाज ज़रूरी हो सकता है।
2. क्या लेफ्ट ओवरी सिस्ट खतरनाक है?
अगर सिस्ट छोटी और साधारण है तो खतरनाक नहीं है, लेकिन बड़ी या एंडोमेट्रियल सिस्ट होने पर डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी है।
3. ओवरी निकालने के बाद क्या होता है?
अगर एक ओवरी निकाली जाती है तो दूसरी ओवरी सामान्य रूप से काम करती है। दोनों निकालने पर पीरियड्स बंद हो जाते हैं और मेनोपॉज़ जल्दी आ जाता है।
4. क्या सिस्ट को दवाई से ठीक किया जा सकता है?
हाँ, छोटी और साधारण सिस्ट दवाई से कंट्रोल हो सकती हैं। बड़ी या जटिल सिस्ट के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है।
5. ओवरी के लिए कौन सा टेस्ट किया जाता है?
ओवरी की जाँच के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound), ब्लड टेस्ट और कभी-कभी MRI करवाया जाता है।
6. क्या ओवरी सिस्ट को सर्जरी के बिना हटाया जा सकता है?
हाँ, छोटे सिस्ट दवाइयों और जीवनशैली सुधार से ठीक हो सकते हैं। लेकिन जटिल या बड़ी सिस्ट के लिए सर्जरी आवश्यक है।
7. ओवरी में गांठ कैसे बनती है?
यह हार्मोनल असंतुलन, एंडोमेट्रियोसिस, आनुवांशिक कारण या मोटापे जैसी स्थितियों से बन सकती है।
8. मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे अंडाशय में कुछ गड़बड़ है?
लगातार पेट दर्द, अनियमित पीरियड्स, पेट फूलना और बार-बार पेशाब आना ऐसे संकेत हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए।
9. ओवरी में गांठ क्यों बनती है?
हार्मोनल बदलाव, जीवनशैली की गड़बड़ी और जेनेटिक कारणों से ओवरी में गांठ बन सकती है।
10. ओवरी में सिस्ट होने से क्या होता है?
सिस्ट से अनियमित पीरियड्स, पेल्विक पेन, पेट फूलना और कभी-कभी फर्टिलिटी पर असर हो सकता है।
11. ओवरी में गांठ का ऑपरेशन कैसे होता है?
बड़ी या खतरनाक गांठ को लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी से निकाला जाता है।
12. लेफ्ट ओवरी में दर्द होने के क्या कारण हैं?
लेफ्ट ओवरी में दर्द सिस्ट, ओवुलेशन, इंफेक्शन या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ के कारण हो सकता है।