बच्चेदानी में गांठ का आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में कफ दोष (यानि शरीर में ठंडक, चिपचिपापन और जमा हुआ तत्व) ज़्यादा बढ़ जाता है, तो यह गांठ (जिसे आयुर्वेद में "गुल्म" कहा जाता है) का कारण बन सकता है।

बच्चेदानी में जो गांठ (फाइब्रॉइड) बनती है, वो इसी बढ़े हुए कफ और हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है।

आयुर्वेद में ऐसी कई प्राकृतिक औषधियां और घरेलू उपाय हैं जो इस कफ दोष को संतुलित करते हैं, शरीर की सफाई करते हैं और धीरे-धीरे गांठ को जड़ से खत्म करने में मदद करते हैं, वो भी बिना सर्जरी के।

इन औषधियों की वैज्ञानिक पुष्टि CCRAS – आयुर्वेद रिसर्च काउंसिल द्वारा किए गए अध्ययनों में भी देखी गई है।

 

बच्चेदानी में गांठ क्या है? (What is Fibroid in Uterus)

बच्चेदानी में गांठ, जिसे मेडिकल भाषा में यूटरिन फाइब्रॉइड (Uterine Fibroids) कहते हैं, गर्भाशय की मांसपेशियों में बनने वाली कठोर गांठें होती हैं। ये गांठें कैंसरयुक्त नहीं होतीं, लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

ज्यादातर महिलाओं को पता भी नहीं होता कि उनके गर्भाशय में गांठ है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण कई बार नजर नहीं आते। लेकिन जब लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो इलाज करना जरूरी हो जाता है।

 

बच्चेदानी की गांठ के प्रमुख लक्षण

  • अत्यधिक मासिक धर्म (भारी ब्लीडिंग)

  • अनियमित पीरियड्स

  • पेट के निचले हिस्से में सूजन या भारीपन

  • पीठ और जांघों में दर्द

  • बार-बार पेशाब लगना

  • गर्भधारण में कठिनाई

  • थकान और एनीमिया

 

गांठ क्यों बनती है? जानिए मुख्य कारण

  • हार्मोनल असंतुलन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का अधिक स्राव)

  • अत्यधिक तनाव और खराब जीवनशैली

  • तला-भुना और अत्यधिक वसायुक्त भोजन

  • व्यायाम की कमी

  • आनुवंशिक कारण (यदि परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही हो)

बच्चेदानी की गांठ के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक दवाएं  

1. कांचनार गुग्गुल (Kanchanar Guggulu)

यह सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है जो गर्भाशय की गांठ को धीरे-धीरे छोटा करती है और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखती है।
दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ सेवन करें।

2. अशोकारिष्ट (Ashokarishta)

यह महिलाओं की सभी समस्याओं के लिए जाना जाता है। यह मासिक धर्म को नियमित करता है और गर्भाशय की सफाई करता है।

3. लोध्रासव (Lodhrasava)

फाइब्रॉइड से होने वाले भारी रक्तस्राव को नियंत्रित करता है और गर्भाशय को ताकत देता है।

4. त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna)

त्रिफला शरीर से विषैले तत्वों को निकालता है और पाचन तंत्र को सुधारता है। यह शरीर की सूजन को भी कम करता है।

 

 

घरेलू उपाय और खानपान की भूमिका

1.हल्दी वाला दूध

हल्दी में सूजनरोधी गुण होते हैं जो गांठ की वृद्धि को रोकते हैं।
रोज़ रात को एक कप हल्दी दूध जरूर पिएं।

2.अलसी के बीज (Flaxseeds)

ये एस्ट्रोजन हार्मोन को बैलेंस करते हैं।
एक चम्मच अलसी पाउडर सुबह खाली पेट लें।

3.गिलोय का काढ़ा

गिलोय शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है और हार्मोनल संतुलन लाता है।
15ml गिलोय का काढ़ा दिन में दो बार पिएं।

4.योग और प्राणायाम से मिलेगा असर

आयुर्वेद सिर्फ औषधियों तक सीमित नहीं है, योग और ध्यान भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

लाभकारी योगासन:

  • भुजंगासन

  • पवनमुक्तासन

  • उष्ट्रासन

  • मकरासन

प्राणायाम:

  • अनुलोम-विलोम

  • भ्रामरी

  • कपालभाति

हर दिन 30 मिनट योग और प्राणायाम करने से हार्मोन संतुलन बनता है और गर्भाशय की सेहत सुधरती है।

 

बच्चेदानी में गांठ के लिए परहेज़

  • अत्यधिक तला-भुना खाना- तेल में तले हुए खाने जैसे समोसे, पकौड़े या फ्राई चीज़ें शरीर में वसा (फैट) बढ़ाती हैं और पोषक तत्वों का संतुलन बिगाड़ देती हैं। इससे कैल्शियम का अवशोषण कम होता है और हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं।

  • डिब्बाबंद फूड या जंक फूड- पैकेट वाले फूड्स और जंक फूड (जैसे चिप्स, कोल्ड ड्रिंक) में कैल्शियम नहीं के बराबर होता है, बल्कि ये शरीर से मिनरल्स को बाहर निकालने का काम करते हैं।

  • रात्रि जागरण और तनाव- नींद पूरी न होना और लगातार तनाव में रहना शरीर की हॉर्मोनल एक्टिविटी पर असर डालता है, जिससे हड्डियों की मरम्मत और कैल्शियम बैलेंस बिगड़ता है।

  • अत्यधिक मीठा या डेयरी प्रोडक्ट- बहुत ज़्यादा मीठा खाने से यूरिन के ज़रिए कैल्शियम बाहर निकलने लगता है। कुछ लोगों को डेयरी से एलर्जी होती है, जिससे पाचन सही नहीं रहता और कैल्शियम सही से अवशोषित नहीं होता।

 

निष्कर्ष: आयुर्वेदिक इलाज से पाएं स्थायी राहत

बच्चेदानी की गांठ एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं। यदि समय रहते लक्षणों को पहचाना जाए और सही आयुर्वेदिक इलाज अपनाया जाए तो यह बीमारी बिना ऑपरेशन के भी पूरी तरह ठीक हो सकती है। यदि आप अधिक वैज्ञानिक जानकारी चाहते हैं, तो CCRAS और  की वेबसाइट पर विस्तृत विवरण उपलब्ध है।

आयुर्वेद सिर्फ इलाज नहीं, एक जीवनशैली है। यदि आप नियमित दिनचर्या, संतुलित आहार, योग और आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाते हैं, तो यह समस्या जड़ से समाप्त की जा सकती है।

अधिक जानकारी के लिए और विशेषज्ञ डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्टेशन के लिए विज़िट करें: www.vinshealth.com

 

FAQs:

1. बच्चेदानी में गांठ क्यों होती है?

Ans. बच्चेदानी में गांठ बनने का कारण हार्मोनल बदलाव, ज्यादा तनाव, गलत खानपान और शरीर में कफ दोष का बढ़ना हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार जब कफ और पित्त असंतुलित होते हैं, तो गर्भाशय में गांठ (गुल्म) बन सकती है।

2. क्या आयुर्वेद से बच्चेदानी की गांठ पूरी तरह ठीक हो सकती है?

Ans. हां, अगर गांठ बहुत बड़ी नहीं है और समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो आयुर्वेदिक दवाएं, खानपान और योग से इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है बिना किसी ऑपरेशन के। स्रोत: NIA जयपुर

3. कौन-सी आयुर्वेदिक दवाएं फाइब्रॉइड में असरदार होती हैं?

Ans. बच्चेदानी की गांठ में ये आयुर्वेदिक औषधियां फायदेमंद मानी जाती हैं:

  • कांचनार गुग्गुल

  • अशोकारिष्ट

  • लोध्रासव

  • त्रिफला चूर्ण
    इनका सेवन डॉक्टर की सलाह से करें।

4. बच्चेदानी की गांठ के लक्षण क्या होते हैं?

Ans. आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • भारी और लंबे पीरियड्स

  • पेट में सूजन या भारीपन

  • बार-बार पेशाब आना

  • पीठ में दर्द

  • गर्भधारण में दिक्कत

5. क्या बच्चेदानी की गांठ होने पर प्रेगनेंसी मुमकिन है?

Ans. हां, कई महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं। लेकिन बड़ी या गलत जगह पर बनी गांठ गर्भधारण में रुकावट बन सकती है। इसलिए समय पर इलाज करवाना ज़रूरी है।

6. आयुर्वेदिक इलाज में कितना समय लगता है?

Ans. यह गांठ के आकार, स्थिति और शरीर की प्रकृति पर निर्भर करता है। आमतौर पर 2 से 6 महीने तक नियमित इलाज और जीवनशैली सुधार से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

 

Sources / स्रोत: