बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं | गर्भपात नियम | सुरक्षित तरीका
गर्भपात एक संवेदनशील और व्यक्तिगत स्वास्थ्य निर्णय है, और कई महिलाएं यह जानना चाहती हैं कि बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं या गर्भपात कब तक सुरक्षित और कानूनी रूप से कराया जा सकता है। भारत में गर्भपात की समय सीमा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 और इसके 2021 संशोधन पर आधारित है। यह मार्गदर्शिका 2025 के लिए अपडेट की गई है, जिसमें गर्भपात की कानूनी सीमा, प्रकार, जोखिम, और नवीनतम रिसर्च के साथ-साथ उच्च खोज मात्रा वाले कीवर्ड्स शामिल हैं। यह जानकारी केवल सूचनात्मक है; हमेशा किसी योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।
कई बार महिलाएँ सोचती हैं कि बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं, ताकि सुरक्षित और सही निर्णय लिया जा सके। लेकिन अगर बार-बार गर्भपात या स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ आती हैं, तो सरोगेसी एक भरोसेमंद विकल्प बन सकता है। ऐसे मामलों में, भारत में सरोगेसी की लागत जानना और सही क्लिनिक का चयन करना मददगार हो सकता है।
गर्भपात क्या है? (गर्भपात की परिभाषा, कारण, गर्भावस्था समाप्ति)
गर्भपात एक चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसमें गर्भावस्था को जानबूझकर समाप्त किया जाता है। यह प्रक्रिया स्वास्थ्य जोखिम, सामाजिक परिस्थितियों, बलात्कार, अनाचार, भ्रूण असामान्यताओं, या व्यक्तिगत कारणों जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर की जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, सुरक्षित गर्भपात महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए आवश्यक है, और असुरक्षित गर्भपात वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।(https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/abortion )
गर्भपात के सामान्य कारण
गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, जो मुख्य रूप से शारीरिक और मानसिक/सामाजिक कारकों में बांटे जा सकते हैं।
1. शारीरिक कारण: कई बार हार्मोन असंतुलन, अंडाणु या शुक्राणु में समस्याएं, गर्भाशय की संरचनात्मक समस्याएं या अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं गर्भपात का कारण बन सकती हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी होता है ताकि उचित जांच और उपचार किया जा सके।
2. मानसिक और सामाजिक कारण: कुछ महिलाओं के लिए गर्भपात व्यक्तिगत निर्णय, परिवार नियोजन, जीवन परिस्थितियाँ या आर्थिक स्थिति के कारण आवश्यक हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन और सुरक्षित चिकित्सा विकल्प इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत में गर्भपात की कानूनी समय सीमा (गर्भपात कब तक कानूनी है, एमटीपी एक्ट, गर्भपात नियम)
भारत में गर्भपात मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट, 1971 के तहत नियंत्रित होता है, जिसे 2021 में संशोधित किया गया। 2025 तक, निम्नलिखित समय सीमाएं लागू हैं:
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20 सप्ताह तक: एक पंजीकृत चिकित्सक की सलाह से गर्भपात कराया जा सकता है, यदि गर्भावस्था मां के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है या सामाजिक कारण हैं।
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20 से 24 सप्ताह: विशेष परिस्थितियों में, जैसे बलात्कार, अनाचार, नाबालिग, विकलांग महिलाएं, या भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं, दो पंजीकृत चिकित्सकों की सहमति से गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है।
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24 सप्ताह से अधिक: केवल तभी संभव है जब गर्भवती महिला की जान को गंभीर खतरा हो या भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं हों, और इसके लिए राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की मंजूरी आवश्यक है।
ये समय सीमाएं महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं, क्योंकि देर से गर्भपात में जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है। (https://mohfw.gov.in/sites/default/files/MTP%20Amendment%20Act%202021.pdf )
गर्भपात के प्रकार और उनकी समय सीमा (मेडिकल गर्भपात, सर्जिकल गर्भपात, गर्भपात की गोली)
गर्भपात दो मुख्य प्रकार के होते हैं, और प्रत्येक की समय सीमा और प्रक्रिया अलग होती है:
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मेडिकल गर्भपात (गर्भपात की गोली): यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले 9 सप्ताह (63 दिन) तक सुरक्षित और प्रभावी है। इसमें मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टॉल दवाओं का उपयोग किया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मेडिकल गर्भपात 98% तक प्रभावी है और जटिलताएं 1% से कम होती हैं।
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सर्जिकल गर्भपात: यह 12-20 सप्ताह तक किया जा सकता है, और इसमें वैक्यूम एस्पिरेशन या डाइलेशन एंड इवैक्यूएशन (D&E) जैसी विधियां शामिल हैं। यह प्रक्रिया शुरुआती चरण में 99% सुरक्षित मानी जाती है।
2025 में, टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से मेडिकल गर्भपात की पहुंच बढ़ी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुरक्षित गर्भपात संभव हुआ है। (https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC10622735/ )
गर्भपात की सुरक्षा और जोखिम (गर्भपात के साइड इफेक्ट्स, सुरक्षित गर्भपात, जटिलताएं)
सुरक्षित और कानूनी गर्भपात आमतौर पर कम जोखिम वाला होता है, लेकिन समय सीमा और प्रक्रिया का प्रकार जोखिम को प्रभावित करता है।
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शुरुआती गर्भपात (9 सप्ताह तक): मेडिकल गर्भपात में जटिलताएं 1% से कम होती हैं, जैसे भारी रक्तस्राव या अधूरा गर्भपात।
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देर से गर्भपात (20-24 सप्ताह): सर्जिकल गर्भपात में रक्तस्राव, संक्रमण, या गर्भाशय को नुकसान का जोखिम बढ़ सकता है।
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असुरक्षित गर्भपात: डब्ल्यूएचओ के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु के 13% मामलों का कारण बनता है।
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नवीनतम रिसर्च से पता चलता है कि सुरक्षित गर्भपात का दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
गर्भपात की दवाएँ और उनका उपयोग
गर्भपात के लिए दो प्रमुख दवाओं का उपयोग किया जाता है: मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टॉल।
1. सही तरीका और समय:
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मिफेप्रिस्टोन को सबसे पहले लिया जाता है, जो गर्भाशय की परत को नरम करता है और गर्भधारण को रोकता है।
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इसके 24–48 घंटे बाद मिसोप्रोस्टॉल ली जाती है, जो गर्भाशय को खाली करने में मदद करती है।
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यह प्रक्रिया आमतौर पर गर्भावस्था के पहले 9 सप्ताह (63 दिन) तक सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है।
2. साइड इफेक्ट्स और सावधानियाँ:
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सामान्य साइड इफेक्ट्स में मतली, उल्टी, पेट में दर्द, और हल्का रक्तस्राव शामिल हो सकते हैं।
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भारी रक्तस्राव, तेज दर्द, या बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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गर्भपात की दवाएँ हमेशा पंजीकृत डॉक्टर की निगरानी में ही इस्तेमाल करें।
गर्भपात के लिए सावधानियां और बाद की देखभाल (गर्भपात के बाद देखभाल, चिकित्सीय सलाह)
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सावधानियां: हमेशा पंजीकृत चिकित्सक या क्लिनिक में गर्भपात कराएं। प्रक्रिया से पहले और बाद में डॉक्टर की सलाह लें।
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बाद की देखभाल: गर्भपात के बाद भारी रक्तस्राव, बुखार, या असामान्य दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। मानसिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
स्रोत और संदर्भ
- गर्भपात पर PMC लेख
यह लेख गर्भपात के चिकित्सीय पहलुओं, तरीकों और कानूनी दृष्टिकोणों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
- गर्भपात (संशोधन) अधिनियम, 2021
भारत सरकार द्वारा पारित यह अधिनियम गर्भपात की कानूनी सीमाओं और शर्तों को निर्धारित करता है।
- WHO तथ्य पत्र: गर्भपात
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी यह तथ्य पत्र गर्भपात के स्वास्थ्य, कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डालता है।
निष्कर्ष
भारत में गर्भपात 20 सप्ताह तक आसानी से और 24 सप्ताह तक विशेष परिस्थितियों में कानूनी है। मेडिकल गर्भपात 9 सप्ताह तक और सर्जिकल गर्भपात 20 सप्ताह तक सुरक्षित माना जाता है। 2025 में, टेलीहेल्थ और उन्नत चिकित्सा तकनीकों ने सुरक्षित गर्भपात की पहुंच को बढ़ाया है। जोखिम कम करने के लिए हमेशा पंजीकृत चिकित्सक से परामर्श करें और समय सीमा का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारत में गर्भपात की कानूनी समय सीमा क्या है?
भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट 2021 के अनुसार, गर्भपात 20 सप्ताह तक एक डॉक्टर की सलाह से कानूनी है। 20-24 सप्ताह तक विशेष मामलों (जैसे बलात्कार, अनाचार या भ्रूण असामान्यताएं) में दो डॉक्टरों की सहमति से संभव है। 24 सप्ताह से अधिक केवल मां की जान को खतरा या गंभीर भ्रूण दोष में मेडिकल बोर्ड की अनुमति से। 2025 में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
2. 20 सप्ताह के बाद गर्भपात संभव है?
हां, 20-24 सप्ताह तक विशेष परिस्थितियों में (जैसे नाबालिग, विकलांग महिलाएं या भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं) दो पंजीकृत डॉक्टरों की सलाह से गर्भपात कानूनी है। 24 सप्ताह से अधिक केवल अगर मां की जान को खतरा हो, और राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की मंजूरी जरूरी है। देर से गर्भपात जोखिम बढ़ा सकता है।
3. मेडिकल गर्भपात (गोली से) कब तक किया जा सकता है?
मेडिकल गर्भपात, जिसमें मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टॉल दवाओं का उपयोग होता है, आमतौर पर गर्भावस्था के पहले 9 सप्ताह (63 दिन) तक सुरक्षित और प्रभावी है। यह 98% तक सफल होता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह से ही लें। 2025 में टेलीहेल्थ से पहुंच आसान हुई है।
4. सर्जिकल गर्भपात कब तक सुरक्षित है?
सर्जिकल गर्भपात (जैसे वैक्यूम एस्पिरेशन या D&E) 12-20 सप्ताह तक सुरक्षित माना जाता है, जिसमें जटिलताओं का जोखिम 1% से कम है। 20-24 सप्ताह तक विशेष मामलों में संभव, लेकिन जोखिम बढ़ सकता है। हमेशा पंजीकृत क्लिनिक में कराएं।
5. गर्भपात के जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?
शुरुआती गर्भपात में जोखिम कम हैं, जैसे रक्तस्राव या संक्रमण (1-2% मामलों में)। देर से गर्भपात में ईक्टोपिक प्रेग्नेंसी, हेमोरेज या इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। सुरक्षित गर्भपात से दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव नहीं पड़ते, लेकिन असुरक्षित गर्भपात मृत्यु का कारण बन सकता है।
6. गर्भपात के बाद देखभाल कैसे करें?
गर्भपात के बाद भारी रक्तस्राव, बुखार या दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आराम करें, पौष्टिक भोजन लें, और संक्रमण से बचें। पोस्ट-एबॉर्शन काउंसलिंग और गर्भनिरोधक सलाह लें। WHO दिशानिर्देशों के अनुसार, फॉलो-अप अपॉइंटमेंट जरूरी है।
7. गर्भपात की सुरक्षा पर नवीनतम रिसर्च क्या कहती है?
2025 की रिसर्च से पता चलता है कि सुरक्षित गर्भपात (विशेषकर शुरुआती) में जटिलताएं 2% से कम हैं, और यह प्रसव से ज्यादा सुरक्षित है। असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु बढ़ाता है। टेलीमेडिसिन ने पहुंच सुधार दी है, लेकिन कानूनी सीमाओं का पालन जरूरी।