बच्चा गिराने के कितने दिन बाद पीरियड आता है? | अबॉर्शन के बाद माहवारी | महिला स्वास्थ्य टिप्स
गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है, लेकिन कभी-कभी कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं जब गर्भपात (Abortion) करवाना पड़ता है। ऐसे समय में महिलाओं के मन में कई सवाल उठते हैं, जिनमें सबसे आम प्रश्न होता है — "बच्चा गिराने के कितने दिन बाद पीरियड आता है?"
गर्भपात के बाद पीरियड शुरू होना यह संकेत देता है कि शरीर धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है और प्रजनन तंत्र दोबारा संतुलित हो रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गर्भपात के बाद मासिक धर्म कब आता है, कैसे होता है, और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
अगर बार-बार मिसकैरेज हो रहा है या गर्भपात के बाद पीरियड्स अनियमित हैं, तो यह हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक गर्भधारण मुश्किल हो सकता है। ऐसे मामलों में सरोगेसी एक सुरक्षित और असरदार विकल्प है। भारत में सरोगेसी की लागत जानें और सही निर्णय लें।
एबॉर्शन और पीरियड्स का आपस में क्या संबंध है?
प्रेग्नेंसी, एबॉर्शन और मासिक धर्म (पीरियड्स) का आपस में गहरा तालमेल होता है। जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो उसके पीरियड्स रुक जाते हैं क्योंकि शरीर प्रेग्नेंसी के हिसाब से तैयार होता है। यदि अंडा और शुक्राणु का मेल नहीं होता है, तो अंडा टूट जाता है और उस समय ब्लीडिंग होती है, जिसे हम मासिक धर्म कहते हैं।
जब गर्भ से भ्रूण को बाहर निकालना होता है, यानी अबॉर्शन किया जाता है, तो इसके बाद ब्लीडिंग होती है और मासिक धर्म फिर से शुरू हो जाता है। प्राकृतिक गर्भपात के दौरान भी ब्लीडिंग और खून के थक्के आ सकते हैं।
बच्चा गिराने के बाद पीरियड कब आता है?
गर्भपात के बाद मासिक धर्म की वापसी कई कारकों पर निर्भर करती है, खासकर यह कि गर्भपात किस तरीके से किया गया है — मेडिकल या सर्जिकल।
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अगर गर्भपात दवाओं के जरिए हुआ है, तो आम तौर पर 5 से 6 सप्ताह के भीतर मासिक धर्म शुरू हो जाता है। यह समय शरीर के हार्मोनल स्तर को सामान्य करने के लिए आवश्यक होता है।
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वहीं, सर्जिकल गर्भपात के बाद मासिक धर्म आमतौर पर 3 से 4 हफ्तों के भीतर लौट आता है क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद शरीर जल्दी ठीक होने लगता है।
गर्भपात के बाद पहला पीरियड कैसा होता है?
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ब्लीडिंग में बदलाव: खून की मात्रा सामान्य से ज्यादा या कम हो सकती है, दवा या सर्जरी के अनुसार।
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रंग और थक्के: खून का रंग गहरा लाल या भूरा हो सकता है, साथ में थक्के भी निकल सकते हैं।
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मरोड़ या ऐंठन: पेट और कमर में तेज ऐंठन हो सकती है, जो धीरे-धीरे कम होती है।
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पीरियड का समय: पहला पीरियड 4-6 हफ्तों में आता है, कभी-कभी जल्दी या देर से भी हो सकता है।
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हार्मोनल असंतुलन: हार्मोन स्तर में बदलाव से चक्र अनियमित हो सकते हैं और मूड स्विंग हो सकता है।
बच्चा गिराने के बाद पीरियड क्यों देर से आता है?
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हार्मोनल असंतुलन: गर्भपात के बाद शरीर के हार्मोन स्तर असंतुलित हो सकते हैं, जिससे मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है और पीरियड देर से आ सकता है।
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शारीरिक थकान और कमजोरी: बीमारी या लगातार थकान से शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिससे पीरियड देर से हो सकता है।
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कुछ दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाइयां, खासकर हार्मोनल मेडिकेशन, मासिक धर्म के समय को प्रभावित कर सकती हैं।
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गर्भाशय या अंडाशय की समस्या: फाइब्रॉइड, सिस्ट या अन्य स्वास्थ्य स्थितियां मासिक धर्म चक्र को असामान्य कर सकती हैं।
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तनाव और मानसिक दबाव: अत्यधिक मानसिक तनाव हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ता है, जिससे मासिक चक्र प्रभावित होता है।
बच्चा कितने दिन का गिरा सकता है?
भारत में गर्भपात की कानूनी सीमा आमतौर पर 20 सप्ताह तक होती है, लेकिन यह महिला के स्वास्थ्य और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है। ज़्यादातर मामलों में, 12 से 20 सप्ताह के बीच गर्भपात करवाना सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था ज्यादा समय तक बढ़ने पर जटिलताएं बढ़ सकती हैं, इसलिए सही समय पर चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।
बच्चा गिराने पर कितने दिन तक ब्लड आता है?
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग सामान्यतः 7 से 14 दिनों तक हो सकती है। यह ब्लीडिंग शरीर से गर्भपात के अवशेषों को बाहर निकालने की प्रक्रिया होती है। यदि ब्लीडिंग सामान्य से अधिक हो या 14 दिन से ज्यादा समय तक जारी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि यह संक्रमण या अधूरे गर्भपात का संकेत हो सकता है।
दवा खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है?
अगर मेडिकल किट (जैसे एमटीपी किट) का उपयोग करके गर्भपात किया गया है, तो मासिक धर्म आमतौर पर दवा लेने के 4 से 6 सप्ताह बाद शुरू होता है। दवाइयां हार्मोन स्तर को प्रभावित करती हैं, इसलिए शरीर को मासिक धर्म चक्र सामान्य करने में समय लगता है। इस दौरान कुछ अनियमितताएं या देरी सामान्य मानी जाती हैं।
एबॉर्शन के बाद खुद का कैसे ध्यान रखें?
एबॉर्शन के बाद शारीरिक और मानसिक रूप से खुद का ख्याल रखना आवश्यक होता है। यह समय शरीर में हार्मोनल बदलाव, थकावट और भावनात्मक अस्थिरता का होता है। इसलिए:
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आराम करें और तनाव कम करने की कोशिश करें।
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संतुलित और पौष्टिक भोजन लें।
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डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें।
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ब्लीडिंग, दर्द या अन्य असामान्य लक्षणों पर नजर रखें।
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जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग लें।
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग को रोकने के लिए कौन सी दवा लेनी चाहिए?
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग सामान्य होती है क्योंकि शरीर गर्भाशय को साफ कर रहा होता है। हालांकि, अगर ब्लीडिंग ज़्यादा हो या लंबे समय तक बनी रहे, तो डॉक्टर की सलाह से ब्लीडिंग रोकने वाली दवाएं दी जा सकती हैं, जैसे एबॉर्टिफैक्टेंट (abortifacient) और हार्मोनल सपोर्ट वाली गोलियां। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें क्योंकि गलत दवा से संक्रमण या अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
गर्भपात के बाद थक्के कैसे निकाले?
ब्लीडिंग के दौरान छोटे-छोटे थक्के निकलना सामान्य है, यह शरीर द्वारा बचा हुआ टिशू निकालने की प्रक्रिया होती है। हालांकि, अगर थक्के बहुत बड़े हों या ब्लीडिंग तेज़ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। थक्के निकालने के लिए कोई घरेलू उपाय करने से बचें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपचार करवाएं।
मिफेप्रिस्टोन लेने के बाद ब्लीडिंग कब बंद होगी?
मिफेप्रिस्टोन लेने के बाद ब्लीडिंग आमतौर पर 7 से 14 दिनों तक रह सकती है। यह ब्लीडिंग गर्भपात के दौरान और उसके बाद शरीर से अवशेष बाहर निकलने का हिस्सा होती है। अगर ब्लीडिंग अत्यधिक हो, तेज दर्द या बुखार जैसी समस्या हो, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
अबॉर्शन के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए?
डॉक्टर्स की सलाह होती है कि गर्भपात के बाद यौन संबंध कम से कम 2 से 3 हफ्ते तक न बनाएं, खासकर जब तक ब्लीडिंग पूरी तरह बंद न हो जाए और संक्रमण के कोई लक्षण न हों। यह गर्भाशय को ठीक होने और संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है। इसके अलावा, इस दौरान सुरक्षित गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करना चाहिए।
गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?
गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए कम से कम 3 से 4 सप्ताह इंतजार करना चाहिए ताकि शरीर से ह्यूमैन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) हार्मोन पूरी तरह खत्म हो जाए। जल्दी टेस्ट करने पर फॉल्स पॉजिटिव या गलत रिपोर्ट आ सकती है।
विश्वसनीय स्रोतों
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UCSF Health की गाइडलाइन के अनुसार, गर्भपात के बाद महिलाओं को पीरियड आने में 4 से 8 हफ्ते लग सकते हैं।(https://www.ucsfhealth.org/education/faq-post-abortion-care-and-recovery )
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ACOG (American College of Obstetricians and Gynecologists) के अनुसार, गर्भपात के 2 से 3 सप्ताह के भीतर ओवुलेशन फिर से शुरू हो सकता है। (https://www.acog.org/womens-health/faqs/induced-abortion)
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Medical News Today में प्रकाशित लेख बताता है कि ओवुलेशन और पीरियड्स गर्भपात के बाद कितनी जल्दी लौटते हैं।(https://www.medicalnewstoday.com/articles/322533 )
निष्कर्ष
बच्चा गिराने के कितने दिन बाद पीरियड आता है? यह हर महिला के लिए थोड़ा अलग हो सकता है। लेकिन अगर आप अपने शरीर की ज़रूरतों को समझें, सावधान रहें, और समय पर चिकित्सकीय सलाह लें तो आप इस प्रक्रिया से सुरक्षित रूप से गुजर सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. बच्चा गिराने की दवा खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है?
गर्भपात की गोली (जैसे मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल) लेने के बाद अगला पीरियड आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों के भीतर आ जाता है। यह पीरियड सामान्य से ज़्यादा भारी या लंबा हो सकता है।
2. मिफेप्रिस्टोन लेने के बाद ब्लीडिंग कब बंद होगी?
मिफेप्रिस्टोन के बाद ब्लीडिंग आमतौर पर 3 से 7 दिनों तक होती है। कुछ महिलाओं में हल्की स्पॉटिंग 10-14 दिनों तक रह सकती है। अगर 2 हफ्तों के बाद भी तेज ब्लीडिंग हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
3. इ-पिल (I-Pill) खाने के कितने दिन बाद ब्लीडिंग होती है? और अगर न हो तो क्या करें?
I-Pill लेने के बाद ब्लीडिंग 5 से 10 दिनों के भीतर हो सकती है, जिसे withdrawal bleeding कहते हैं। अगर 3 हफ्तों के अंदर पीरियड न आए, तो गर्भावस्था टेस्ट करना ज़रूरी है।
4. कौन सी गोली खाने से पीरियड जल्दी आता है?
पीरियड जल्दी लाने के लिए डॉक्टर अक्सर मेफेप्रिस्टोन, मिसोप्रोस्टोल, या नॉरएथिस्टरोन जैसी दवाएं दे सकते हैं, लेकिन ये केवल डॉक्टर की सलाह पर ही ली जानी चाहिए।
5. अबॉर्शन के कितने दिन बाद संबंध बनाना सुरक्षित होता है?
गर्भपात के बाद कम से कम 2 सप्ताह तक यौन संबंध न बनाने की सलाह दी जाती है ताकि संक्रमण का खतरा न हो। डॉक्टर से जांच के बाद ही संबंध बनाना शुरू करें।
6. गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?
गर्भपात के 15 से 20 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना उपयुक्त होता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरा गर्भपात हो चुका है और हार्मोन (hCG) स्तर सामान्य हो रहा है।