9 महीने में डिलीवरी के लक्षण क्या हैं?

गर्भावस्था के 9वें महीने में डिलीवरी के संकेत साफ दिखने लगते हैं। इसमें पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना, पानी की थैली फटना, बार-बार पेशाब आना, पीठ दर्द बढ़ना, गर्भाशय में संकुचन (लेबर पेन), और म्यूकस प्लग निकलना शामिल हैं। इसके अलावा, बच्चे की हलचल कम हो सकती है। यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अस्पताल जाने की तैयारी करें।

डिलीवरी की तैयारी

प्रसव के समय को आसान और तनावमुक्त बनाने के लिए सही तैयारी बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए बिंदु डिलीवरी से पहले की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं:

  • अस्पताल की तैयारी: प्रसव के लिए जरूरी चीज़ें जैसे कपड़े, दवाएं, और जरूरी कागजात पहले से तैयार रखें।

  • एपिड्यूरल: दर्द कम करने के लिए एपिड्यूरल विकल्प पर डॉक्टर से सलाह लें।

  • टेडी इजी डायपर पैन्ट्स: नवजात शिशु के लिए आरामदायक और उपयोगी डायपर खरीदें।

  • डॉक्टर की सलाह: डिलीवरी से पहले नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क में रहें और उनके निर्देशों का पालन करें।

  • डॉक्टर से संपर्क: प्रसव पीड़ा शुरू होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

  • दर्द निवारक दवाएं: डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवाओं की जानकारी रखें।

  • नॉर्मल डिलीवरी: सामान्य प्रसव के लिए शारीरिक व्यायाम और खान-पान पर ध्यान दें।

  • प्रसव लाने की दवा: जब डॉक्टर जरूरी समझें, तो प्रसव लाने वाली दवाओं का उपयोग करें।

  • ब्रैक्सटन हिक्स कॉन्‍ट्रैक्‍शन: नकली संकुचन के बारे में जानकारी प्राप्त करें, ताकि आप इसे वास्तविक प्रसव से अलग पहचान सकें।

  • सिजेरियन ऑपरेशन: सी-सेक्शन की जरूरत और प्रक्रिया की जानकारी लें।

  • सी-सेक्शन: यदि सिजेरियन आवश्यक हो, तो मानसिक रूप से तैयार रहें।

  • स्वास्थ्य पर ध्यान: डिलीवरी से पहले और बाद में संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लें।

डिलीवरी के लक्षण

डिलीवरी के करीब आने पर गर्भवती महिलाओं को कुछ विशेष लक्षण अनुभव होते हैं। ये लक्षण प्रसव के समय को पहचानने में मदद करते हैं। यहां डिलीवरी से पहले और प्रसव के करीब होने के प्रमुख संकेत दिए गए हैं:

  • एडवांस लेबर के संकेत: संकुचन अधिक नियमित और तीव्र हो जाते हैं।

  • गर्भाशय में बदलाव: गर्भाशय का मुँह (सर्विक्स) पतला और चौड़ा होने लगता है।

  • गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्स होना: प्रसव के समय शरीर स्वाभाविक रूप से तैयार होता है।

  • नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण: नियमित संकुचन, दर्द और पानी की थैली का फटना प्रमुख संकेत हैं।

  • पानी की थैली फटना: यह डिलीवरी के करीब होने का स्पष्ट संकेत है।

  • पीठ और कमर में दर्द: लगातार दर्द होना प्रसव के संकेत हो सकते हैं।

  • प्रसव की तैयारी: बच्चा पेट के निचले हिस्से में खिसकने लगता है।

  • प्रसव के करीब आने के संकेत: संकुचन तेज, लंबे और नियमित हो जाते हैं।

  • बच्चे का वजन बढ़ना: गर्भाशय में बच्चे की स्थिति में बदलाव होता है।

  • ब्लडी शो: योनि से हल्का खून या म्यूकस निकलना।

  • योनि से खून या म्यूकस निकलना: यह प्रसव का प्रारंभिक संकेत हो सकता है।

  • संकुचन: तेज और नियमित रूप से महसूस होना।

पानी की थैली का फटना

पानी की थैली का फटना गर्भावस्था के अंतिम चरण में एक सामान्य प्रक्रिया है। इसे "एम्नियोटिक फ्लूइड" का रिसाव कहा जाता है। यह स्थिति प्रसव के करीब होने का संकेत देती है। इस विषय पर ध्यान देना और सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करना अत्यंत आवश्यक है।

• एम्नियोटिक फ्लूइड की थैली

  • यह शिशु को गर्भ में सुरक्षा और पोषण प्रदान करती है।

  • इसके फटने पर पानी जैसा फ्लूइड बाहर निकलता है।

• डॉक्टर से संपर्क

  • जैसे ही पानी की थैली फटने का संकेत मिले, तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।

  • यह सुनिश्चित करें कि आपकी प्रसव योजना तैयार है।

• पानी छूटना

  • हल्की धार या भारी मात्रा में पानी निकल सकता है।

  • पानी का रंग साफ या हल्का पीला हो सकता है।

• प्रसव शुरू

  • अधिकतर मामलों में, थैली फटने के 24 घंटे के भीतर प्रसव शुरू हो जाता है।

  • कुछ मामलों में, डॉक्टर प्रसव को तेज करने के लिए दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं।

• संक्रमण का खतरा

  • थैली फटने के बाद संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

  • डॉक्टर की सलाह से साफ-सफाई और अन्य सावधानियां अपनाएं।

पानी की थैली फटने को हल्के में न लें। यह शिशु के जन्म की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सही जानकारी और डॉक्टर से परामर्श आपको सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

शरीर में बदलाव

गर्भावस्था के अंतिम चरण में शरीर में कई बदलाव होते हैं। ये बदलाव प्रसव की तैयारी का संकेत देते हैं। नीचे इन बदलावों को बिंदुवार बताया गया है:

कमर और पेट के निचले हिस्सों में बदलाव

  • गर्भाशय का निचला भाग भारी महसूस होना।

  • पेट के निचले हिस्से में खिंचाव और दर्द।

  • कभी-कभी पेट का टाइट होना।

गर्भाशय के बदलाव

  • गर्भाशय का मुंह धीरे-धीरे खुलने लगना।

  • गर्भाशय की मांसपेशियों में खिंचाव।

  • गर्भाशय ग्रीवा का चौड़ा हो जाना।

प्रसव के संकेत

  • पेट के निचले हिस्से में बार-बार सख्तपन।

  • प्रसव पीड़ा की शुरुआत।

  • बच्चेदानी का धीरे-धीरे फैलना।

योनि से स्राव

  • सफेद या हल्के रंग का स्राव आना।

  • कभी-कभी स्राव में रक्त के हल्के धब्बे दिखना।

इन बदलावों के समय डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि माँ और शिशु दोनों स्वस्थ हैं।

संकुचन के प्रकार

गर्भावस्था के दौरान संकुचन एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि, असली और नकली संकुचन के बीच अंतर समझना बेहद जरूरी है। इससे यह तय करने में मदद मिलती है कि कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

असली संकुचन:

  • गर्भाशय में नियमित हलचल: समय के साथ संकुचन की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ती है।

  • डिलीवरी की तैयारी: यह गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को खोलने में मदद करता है।

  • पानी की थैली का फटना: यह प्रसव के नजदीक होने का संकेत है।

नकली संकुचन:

  • ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस: ये अनियमित और हल्के संकुचन होते हैं, जो गर्भाशय की मांसपेशियों को तैयार करने के लिए होते हैं।

  • संघटक संकुचन: इनका कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं होता और यह सामान्य आराम करने पर ठीक हो जाते हैं।

  • डिलीवरी की तैयारी नहीं: नकली संकुचन सर्विक्स को खोलने में मदद नहीं करते।

अस्पताल कब जाना चाहिए?

  • संकुचन नियमित हों और हर 5-10 मिनट में आएं।

  • संकुचन के साथ पानी की थैली फट जाए।

  • दर्द असहनीय हो और आराम करने पर भी ठीक न हो।

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