9 महीने में डिलीवरी की संभावित तिथि जानें
- 2025-02-01
- 9 महीने में डिलीवरी की संभावित तिथि जानें
गर्भावस्था सामान्यत: 9 महीने या लगभग 40 सप्ताह की होती है। डिलीवरी आमतौर पर गर्भधारण के 37वें से 40वें सप्ताह के बीच होती है। गर्भ का सही समय आपकी मासिक चक्र की पहली तारीख से गिना जाता है। यदि डिलीवरी 37 सप्ताह से पहले होती है, तो इसे प्री-मेच्योर कहा जाता है, और 40 सप्ताह के बाद की डिलीवरी को पोस्ट-टर्म कहा जाता है। डॉक्टर गर्भावस्था की प्रगति और माँ-बच्चे के स्वास्थ्य के आधार पर डिलीवरी की संभावित तिथि तय करते हैं। नियमित चेकअप और अल्ट्रासाउंड से सही डिलीवरी की योजना बनाई जाती है। हर गर्भावस्था का अनुभव अलग होता है।
डिलीवरी की तैयारी
डिलीवरी के समय सही तैयारी करना बहुत ज़रूरी है। यहां हम आपको डिलीवरी से पहले ध्यान रखने योग्य मुख्य बिंदुओं के बारे में बताएंगे।
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अस्पताल की तैयारी
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पहले से अस्पताल का चयन करें और जरूरी दस्तावेज़ तैयार रखें।
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अस्पताल का बैग पैक करें, जिसमें कपड़े, टॉवेल, और दवाएं शामिल हों।
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अस्पताल की सुविधाओं और दूरी की जानकारी पहले से प्राप्त करें।
2 टेडी इजी डायपर पैंट्स
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नवजात के लिए आरामदायक डायपर पहले से खरीद लें।
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टेडी इजी डायपर पैंट्स बच्चे की कोमल त्वचा के लिए बेहतर विकल्प हैं।
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यह लीक प्रूफ और लंबे समय तक सूखा महसूस करवाने में मददगार है।
3 डॉक्टर से संपर्क
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अपने डॉक्टर से नियमित रूप से संपर्क में रहें।
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अपनी और बच्चे की स्थिति के बारे में डॉक्टर की सलाह लें।
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डिलीवरी की संभावित तारीख और प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।
4 बच्चे का वजन
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बच्चे के स्वस्थ वजन की जांच समय-समय पर करवाएं।
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डॉक्टर से बच्चे के विकास पर चर्चा करें।
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वजन बढ़ाने के लिए मां के आहार पर विशेष ध्यान दें।
5 मां की सुरक्षा
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मां को आराम और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करें।
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डिलीवरी से पहले मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहें।
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सभी जरूरी मेडिकल टेस्ट समय पर करवाएं।
डिलीवरी के लक्षण
प्रसव के नजदीक आने पर महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव और लक्षण दिखाई देते हैं। यह संकेत बताते हैं कि बच्चा जन्म लेने के लिए तैयार है। यहाँ डिलीवरी के मुख्य लक्षण दिए गए हैं:
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गर्भाशय की मांसपेशियां मजबूत होना: प्रसव से पहले गर्भाशय की मांसपेशियां धीरे-धीरे सिकुड़ने लगती हैं।
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गर्भाशय की सक्रियता बढ़ना: गर्भाशय प्रसव की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए तैयार हो जाता है।
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दस्त (डायरिया): प्रसव से पहले शरीर आंतों को साफ करने लगता है, जिससे दस्त हो सकते हैं।
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पानी की थैली फटना (वाटर ब्रेक): एमनियोटिक थैली फटने से योनि से पानी निकलने लगता है।
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पीठ और कमर में दर्द: यह दर्द लगातार बढ़ता है और संकेत देता है कि डिलीवरी का समय नजदीक है।
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पेट का भारी होना: गर्भाशय का भार नीचे की ओर महसूस होने लगता है।
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प्रसव पीड़ा (लेबर पेन): नियमित और तीव्र संकुचन प्रसव की शुरुआत का संकेत देते हैं।
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ब्लडी शो: योनि से हल्का खून आना, जो म्यूकस प्लग के हटने का संकेत है।
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म्यूकस डिस्चार्ज: गाढ़ा और चिपचिपा म्यूकस योनि से निकलता है।
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योनि से खून: हल्का या मध्यम खून आ सकता है।
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संकुचन (कॉन्ट्रैक्शन): गर्भाशय की मांसपेशियों का बार-बार सिकुड़ना, जो प्रसव का मुख्य लक्षण है।
पानी की थैली का फटना (एमनियोटिक फ्लूइड)
पानी की थैली का फटना गर्भावस्था का एक महत्वपूर्ण चरण है। यह प्रसव की शुरुआत या किसी जटिलता का संकेत हो सकता है।
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एमनियोटिक फ्लूइड
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पानी की थैली एमनियोटिक फ्लूइड से भरी होती है।
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यह शिशु को संक्रमण और चोट से बचाती है।
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इसके फटने का मतलब है कि प्रसव जल्द शुरू हो सकता है।
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डॉक्टर से संपर्क
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पानी की थैली फटने के तुरंत बाद डॉक्टर से संपर्क करें।
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यदि पानी का रंग हरा या बदबूदार हो, तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है।
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देर करने से मां और शिशु के लिए खतरा बढ़ सकता है।
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प्रसव
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थैली फटने के 24 घंटे के भीतर प्रसव शुरू हो सकता है।
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यदि प्रसव समय पर शुरू न हो, तो डॉक्टर दवा के माध्यम से प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।
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शिशु की सुरक्षा
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एमनियोटिक फ्लूइड खत्म होने के बाद शिशु को संक्रमण का खतरा रहता है।
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डॉक्टर की निगरानी में शिशु की स्थिति का ध्यान रखें।
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संकेत
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अचानक पानी जैसा तरल गुप्तांग से निकलना।
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तरल का रंग पारदर्शी या हल्का पीला।
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कभी-कभी धीमे रिसाव के रूप में तरल निकलना।
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संक्रमण का खतरा
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यदि थैली समय से पहले फट जाए, तो संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।
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डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देकर संक्रमण को रोक सकते हैं।
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शारीरिक बदलाव: प्रसव के नजदीक होने वाले बदलाव
गर्भावस्था के अंतिम चरण में शरीर में कई बदलाव होते हैं। ये बदलाव प्रसव की तैयारी का संकेत देते हैं। आइए इन बदलावों को बुलेट्स में समझें:
कमर और पेट के निचले हिस्सों में बदलाव
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गर्भाशय का निचला भाग भारी महसूस होना।
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कमर और पेट के निचले हिस्से में खिंचाव और दर्द।
गर्भाशय का मुंह और उसकी स्थिति
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गर्भाशय का मुंह मुलायम और पतला होना।
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गर्भाशय का धीरे-धीरे खुलना।
डॉक्टर की सलाह पर ध्यान
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नियमित चेकअप करवाना आवश्यक।
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किसी असामान्य लक्षण के होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पेट का टाइट होना
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पेट में हल्की सिकुड़न महसूस होना।
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ब्रेक्सटन-हिक्स संकुचन का अनुभव।
प्रसव में पीड़ा (लेबर पेन)
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नियमित और तीव्र दर्द का आना।
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दर्द का धीरे-धीरे बढ़ना और समय के साथ नियमित होना।
बच्चेदानी का विस्तार
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बच्चेदानी का आकार बढ़ना और नीचे की ओर खिसकना।
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बच्चे का सिर गर्भाशय के निचले हिस्से में आना।
योनि से स्राव
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सफेद या पारदर्शी तरल पदार्थ का स्राव।
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म्यूकस प्लग का बाहर निकलना।
स्वास्थ्य पर ध्यान देना
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पौष्टिक भोजन और पर्याप्त पानी पीना।
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अधिक आराम करना और मानसिक रूप से तैयार रहना।
संकुचन के प्रकार
संकुचन गर्भावस्था के दौरान एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन असली और नकली संकुचनों के बीच अंतर समझना जरूरी है। यहां विभिन्न प्रकार के संकुचनों को संक्षेप में समझाया गया है:
असली संकुचन
• नियमित अंतराल पर होते हैं और समय के साथ तीव्रता बढ़ती है।
• पीठ के निचले हिस्से और पेट में दर्द होता है।
• दर्द चलने या स्थिति बदलने पर कम नहीं होता।
• गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) का फैलाव शुरू होता है।
नकली संकुचन (ब्रेक्सटन हिक्स)
• अनियमित अंतराल पर होते हैं और तीव्र नहीं होते।
• केवल पेट में हल्का दबाव या खिंचाव महसूस होता है।
• आराम करने या पानी पीने पर दर्द कम हो जाता है।
• डिलीवरी के लिए कोई प्रगति नहीं होती।
गर्भाशय में हलचल
• गर्भाशय डिलीवरी की तैयारी के लिए हल्की गतिविधियां करता है।
• यह शुरुआती महीनों में महसूस नहीं होता, लेकिन आखिरी तिमाही में ध्यान देने योग्य हो सकता है।
पानी की थैली का फटना
• असली संकुचनों से पहले या बाद में एमनियोटिक थैली का फटना हो सकता है।
• यह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने का संकेत है।
डिलीवरी की तैयारी
• संकुचन के साथ गर्भाशय ग्रीवा का विस्तार होता है।
• शिशु जन्म के लिए सही स्थिति में आ जाता है।
Thanks for the valuable information.
2023-01-05 00:00:00